नव-बिहार समाचार, बौंसी। सनातन धर्म विराट हिन्दू धर्म है, जिसकी जड़ को खोद कर कुछ लोग सुखाने की चेष्टा करते हैं। सनातन धर्म की स्थापना के मूल में कोई व्यक्ति नहीं बल्कि स्वयं प्रभु भगवान ब्रह्मा जी हैं इसलिए यह धर्म अक्षय और अच्छुन्न है, यह कभी मिट नहीं सकता। ये बातें संत महात्मा एवं वनवासी सम्मेलन में उपस्थित धर्म प्रेमियों को अपने उद्बोधन में परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने कही।
उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्र भक्त धर्म प्रेमियों के माध्यम से पंचदिवसीय इस पांच लाख इक्यावन हजार रुद्राक्ष महाभिषेक यज्ञ के पावन कार्य समस्त जनमानस के कल्याण कारी हो। मुगलों ने और ईसाईयों ने लोगों को कभी पकड़कर जबरन तो कभी कोई लोभ लालच छल छद्म से धर्म परिवर्तन कराने का काम किया, प्रयास किया और आज भी किया जा रहा है । मंदरांचल क्षेत्र में प्रथम बार हो रहे इस पावन कार्य की पुनरावृति होते रहे और समिति के सदस्य इस कार्य को अन्य जगह पर भी करावे हम साथ हैं। यह भलजोड़ की पावन भूमि है, जिसका अर्थ भल-यानि भला करना और जोड़- मतलब जोड़ना है। जिसे भला के लिए जोड़ना कहा जा सकता है। इसलिए इस प्रकार का आयोजन बार बार हो जो सत्य सनातन संस्कृति की परम्पराओं का रक्षा करने का काम आए।
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