पटना : प्लास्टिक-पॉलीथिन के प्रचलन से किसी को फायदा नहीं है। निर्माताओं एवं दुकानदारों के लाभ के लिए आम नागरिकों और पशुओं की जान के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है। उपरोक्त बातें सोमवार को मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह एवं न्यायाधीश डा. रवि रंजन की दो सदस्यीय खंडपीठ ने प्लास्टिक पर बैन लगाने वाले अधिकारियों के समक्ष कहीं।
अदालत ने कहा कि गुजरात एवं मुंबई में बहुत पहले से प्लास्टिक एवं पॉलीथिन जैसी खतरनाक वस्तुओं के प्रचलन पर रोक लगी हुई है इसलिए यहाँ भी इस पर रोक लगाने के लिए अधिकारियों को सख्त होना पड़ेगा।
लोगों से मांगे गए हैं सुझाव : इस बीच राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि प्लास्टिक और पॉलीथिन पर रोक लगाने के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन तैयार कर लिया गया है। इस संबंध में लोगों से सुझाव मांगे गए हैं। इसके लिए कम से कम एक महीना का समय दिया जाना जरुरी है। लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
न्यायालय में उपस्थित नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने बताया कि 92 फीसदी पॉलीथिन व प्लास्टिक बाहर के राज्यों से आता है। उस पर अंकुश लगाने में थोड़ी सी परेशानी हो रही है । फिलहाल शहरी क्षेत्रों में पॉलीथिन के प्रचलन पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई चल रही है।
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