राजेन्द्र सिंह
हल्दिया से बनारस तक बन रहे जलमार्ग का एक पड़ाव है झारखंड का साहेबगंज जिला। जहां बंदरगाह का निर्माण कार्य तेज गति में चल रहा है। जिसकी तस्दीक़ तस्वीरें करती हैं । सूचनानुसार यह कार्य एलएंडटी कंपनी करवा रही है । यह तो सबको पता है कि साहेबगंज सूबे झारखंड का इकलौता जिला है, जहां गंगा नदी बहती है।
बता दें कि वर्ल्ड बैंक ने इस जलमार्ग के निर्माण हेतु 2 खरब 51 अरब रूपये का कर्ज ( गूगल की रिपोर्ट ) भारत सरकार को दिया है। इसमें दो मत नहीं कि योजना पूर्ण होने पर साहेबगंज जैसे पिछड़े जिले और आसपास के इलाके की सूरत बदल जायेगी, लेकिन अहम सवाल यह है कि जिस गंगा का प्रवाह बरसात खत्म होते ही ठहर जाय और इसके किनारों का विस्तार सिकुड़ कर किसी नाले का - सा आकार ग्रहण कर ले। वहां कैसे गतिमान होंगे यात्री और माल वाहक एलसीटी जैसे दैत्याकार जलयान, क्योंकि अभी तक तो "नमामि गंगे " का असर गंगा की सेहत पर कुछ खास नहीं दिखा रहा है ? कहीं गंगा को उपयोगी बनाने के नाम पर यह दो खरब इक्यावन अरब की बड़ी राशि गंगा की धारा सिकुड़ते ही दफ्न तो नहीं हो जायेगी और देश एक और बड़े कर्ज तले तो दब कर नहीं रह जायेगा ?
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