राजेश कानोड़िया, भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से
नवगछिया (भागलपुर)। देश भर में इस समय लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं। इस क्रम में बिहार के भागलपुर लोकसभा सीट का भी चुनाव दूसरे चरण यानि 18 अप्रैल को होना है। लेकिन इस बार भागलपुर का चुनाव काफी दिलचस्प लग रहा है। जिसका कारण भी स्पष्ट है। भले ही इस सीट पर नौ नौ प्रत्याशी मैदान में हैं। लेकिन यहां सीधा मुकबला महागठबंधन से राजद के प्रत्याशी निवर्तमान सांसद शैलेश कुमार उर्फ बूलो मंडल और राजग के जदयू प्रत्याशी अजय कुमार मंडल के बीच ही दिखाई दे रहा है। जिसमें सबसे बड़ी बात है कि दोनों एक ही जाति गंगोता (गंगा पुत्र ) से हैं।
भागलपुर सीट की सबसे खास बात यह है कि पिछले चुनाव में जब देशभर में भाजपा और मोदी की बड़ी लहर थी। उस समय यहां से भाजपा प्रत्याशी राष्ट्रीय प्रवक्ता सह पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन को कड़ी शिकस्त देते हुए राजद प्रत्याशी शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल ने बाजी मारी और बाजीगर बन गए। लेकिन इस बार के चुनाव में पिछले बाजीगर बूलो मंडल को शिकस्त देने के लिए राजग ने उनकी ही जाति के जदयू से नाथनगर के विधायक अजय कुमार मंडल को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से ही क्षेत्र के मतदाता यह सोचने को मजबूर हो गए हैं कि अजय होंगे विजय या बुलों फिर बनेंगे बाजीगर।
यह तो स्पष्ट है ही कि दोनों महारथी प्रत्याशी एक ही जाति गंगोता (गंगा पुत्र) से आते हैं। इसलिए पूरे क्षेत्र के मतदाता ओ की नजर इस बार गंगोता जाति के मतदाताओं पर ही टिकी हुई है। क्षेत्र में हर जगह यही चर्चा है कि गंगोता जिसे चाहेंगे उसे ही संसद भेजेंगे। कारण कि पिछले चुनाव में भी इस जाति के लोगों ने एकजुट होकर पहली बार अपनी जाति के प्रत्याशी को एकतरफा मतदान किया था। लेकिन इस बार के चुनाव में उनके समक्ष स्थिति विषम है। सभी सोचने को मजबूर हैं कि पुराने चेहरे को ही दुबारा संसद भेजा जाय या इस बार नए चेहरे को भेजा जाय।
बिहार में होने वाले चुनावों में जातीय समीकरण का खासा असर देखा जाता है। इस बार के चुनाव में जहां महागठबंधन प्रत्याशी बुलो मंडल को अपनी जाति गंगोता के साथ साथ मुस्लिम और यादव (माय समीकरण) के साथ साथ कांग्रेस के कैडर मतदाताओं के अलावा महागठबंधन की अन्य पार्टियों के मतदाताओं पर पूरा भरोसा है। वहीं राजग प्रत्याशी अजय मंडल को भी अपनी जाति गंगोता पर पूरा भरोसा है। साथ ही भाजपा के कैडर (भूमिहार, राजपूत और ब्राह्मण) तथा जदयू के कैडर (कुशवाहा, मुस्लिम और यादव) एवं लोजपा के कैडर (पासवान एवं पिछड़ी जाति) के भरपूर समर्थन का भरोसा है। कुल मिलाकर इतना तो तय है ही इस बार भी भागलपुर से गंगापुत्र ही संसद जाएगा। चेहरा चाहे पुराना हो या नया। यह निर्भर कर रहा है गंगा किनारे फैले गंगापुत्र मतदाताओं पर कि वे अजय को विजय बनाएंगे या बूलो को फिर से बाजीगर।
इस बारे में जब गंगोत्री जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलशन कुमार से बात हुई तो उनका भी दो टूक कहना हुआ कि हमारे समाज में दोनों विचार धारा के लोग हैं। जहां कुछ लोग राजद समर्थक और बुलो समर्थक हैं। वहीं कुछ लोग जदयू और अजय मंडल समर्थक हैं। लेकिन अजय मंडल को जदयू के साथ साथ भाजपा और लोजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी के समर्थन को लेकर झुकाव बढ़ रहा है। फिर भी यह कहना कठिन है कि अजय होंगे विजय या बुलो फिर बनेंगे बाजीगर।
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